अम्मा की पाठशाला एक ऐसा विषय है जिसमें लोग अपनों की प्यार पाने की आस में आखिर दम तक रहते हैं । ख्वाहिश रखकर भी पूर्ण नहीं कर पाते हैं । उनकी अधूरी तमन्ना किसी दूसरे के द्वार। पूर्ण होता है । About The Author - मंजुलता महापात्र विगत 30 सालों से साहित्य के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय है । उनके द्वार। लिखे गये 16 किताब प्रकाशित हुये हैं ।वे हिन्दी, अंग्रेजी, मराठी और ओडिशा भाषा लिखती है । हाल ही में उनके द्वार। लिखे गये हिन्दी में जीवन सरल नहीं है, प्रकाशित हुआ है ।